"मैंने पढ़ना या लिखना कभी नहीं सीखा,लेकिन मैंने बाइबल पढ़ने में समर्थ होने के लिए पढ़ना लिखना सीखने का फैसला किया।" राजस्थान के एक छोटे से शहर उदयपुर में रहने वाली एक युवा मां पुष्पा अपने दैनिक तनाव से जूझ रही थी। पढ़ना लिखना न जानने की वजह से अवसरों की कमी को महसूस करने के साथ-साथ हर दिन अपने पति के साथ होने वाले दिल दहला देने वाले झगरे उसे दुख के करीब धकेलती रही।
पुष्पा ने अपनी नाखुश शादी के दर्द को याद करते हुए कहा," मैं ये महसूस करती कि हर बार जब वो और उसका पति झगड़ते तो वह और जीना नहीं चाहती " उसका पति न सिर्फ उससे झगड़ता था, बल्कि कई दिनों तक उसके साथ मारपीट भी करता था । पुष्पा एक जाल में थी। वह अपना दिन घर का काम करने,उनके मवेशियों की देखभाल करने और अपने बच्चों की परवरिश करने में बिताती थी। उसने अपने जीवन में अधूरापन महसूस किया, उसके पास कोई रास्ता नहीं था।
एक दिन पुष्पा की चाची ने सुझाव दिया कि वह बेहतर महसूस करने और अपनी वर्तमान स्थिति में भी आशा पाने के लिए चर्च जाना शुरू कर दें। पुष्पा ने चर्च जाने के अपने अनुभव को याद करते हुए कहा,”पहली बार जब मैं गई,मुझे थोड़ी शांति महसूस हुई,दूसरी बार जब मैं गई,तो मुझे अपने दिल में कुछ और शांति महसूस हुई। जैसे-जैसे मैंने चर्च जाना जारी रखा,यह शांति और आशा बढ़ती गई।” जैसे पुष्पा सभी को बाइबल पढ़ते हुए देखती थी, उसे भी पढ़ने की ललक महसूस होती थी। शुरुआत में,उसने दुख महसूस किया क्योंकि उसने कभी पढ़ना नहीं सीखा था, लेकिन एक महिला होने के नाते, पुष्पा अपने सपने को हासिल करने का एक तरीका खोजने में कामयाब रही
पुष्पा ने स्कूल से वापस आने वाले कुछ बच्चों से संपर्क किया, और उन्हें पढ़ना सिखाने के लिए प्रतिदिन कुछ रुपये की पेशकश की । उसको खुशी हुई जब बच्चों ने सहमति व्यक्त की । पुष्पा की क्लास शुरू हुई। धीरे-धीरे, लेकिन लगातार पुष्पा ने खुद पढ़ना सीखा, और बाइबल में कई प्रोत्साहन भरे छंदों को पढ़ने का आनंद लिया। उसने गर्व से उस छंद को साझा किया जिस्ने उससे सबसे अधिक बातचीत की -
"प्रभु मेरे रक्षक है; मुझे कुछ घटी नहीं होगी ।" भजन 23:1
प्रत्येक नए छंद के साथ पुष्पा ने परमेश्वर की स्तुति की, ताकि वह उनके प्रोत्साहन भरे वचन को पढ़ सके। पुष्पा ने अपने कुछ दोस्तों को भी बाइबल पढ़ना सिखाया । जब वे पढ़ना सीखते तो वे एक साथ आते और कुछ छंद पढ़ते।
आज पुष्पा के बच्चे और उनके पति बाइबल पढ़ते हैं और चर्च जाते हैं। जब से उसके पति ने परमेश्वर के वचन को पढ़ना शुरू किया, वह अपनी पत्नी के प्रति और अधिक प्यार करने वाला और देखभाल करने वाला हो गया। पुष्पा अपने परिवार के जीवन में भारी बदलाव को देखकर खुश थी और अपनी आशीष के लिए परमेश्वर की स्तुति करना जारी रखती है ।